Today’s students–
today’s students फैशन के है भारी,
कक्षा में मुर्गा बनते पैसों के महारथी लचक-पचक चाल है,
पिचके हुए गाल है सिर पर तेल नहीं बीच में से निकालते माँग है शर्ट पर छिड़के सेंट पहने जींस की पेंट
पाप है क्लास की अटेंड करना कहते आज के स्टूडेंट हैं ये नहीं डरते किसी प्रलय तूफान से मगर कॉप उठते हैं, सदैव इम्तिहान से
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Dowry system is a terrible curse—
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खिड़की से बाहर झाँकने पर देखने को मिलता है यात्री को
दिक-दिगन्त
घूमती बहारे
खिलते नजारें
घुमावदार सड़कें
सूरज की किरणों से लिपटकर
उसे ढ़कती हुई धुंध वादियों में फरफराती हुई
कहीं दूर जलते जंगल
धुंध
अलाव के पास कॉप-दुरते साए
रोटी के लिए कुलबुलाती