The wise big or buffalo story?अक्ल बड़ी या भैंस?

The Wise Big Or Buffalo Story







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अक्ल बड़ी या भैंस—

story for kids एक गधा मैदान ह मैदान में हरी – हरी कोमल दूब चर रहा था । अचानक जो उसने सिर उठाया तो एक बाघ को अपनी ओर आते हुए देखा । गधा समझ गया कि अब प्राण बचाना असंभव है । फिर भी यदि बुद्धि लड़ाकर जीवन बच जाए , तो अच्छा है । यह सोचते ही गधे ने पिछले एक पैर से लँगड़ा – लँगड़ाकर चलना शुरू कर दिया । बाघ ने गधे के पास आते – आते पूछा- “ क्यों भाई गधे , यह तू लँगड़ा – लँगड़ाकर क्यों चल रहा है ? ” गधे ने उत्तर दिया- ” क्या सरकार , दौड़ते समय पैर में एक बहुत लम्बा , बहुत मोटा काँटा चुभ गया है । 

उसी से पैर में बहुत पीड़ा हो रही है और मैं लँगड़ाकर चल रहा हूँ । यदि आप मुझे खाने का विचार रखते हैं तो पहले वह काँटा बाहर निकालिए । कहीं ऐसा हो कि मुझे खाते समय काँटा आपके गले में अटक जाए और आपको अपने प्राण खोने पड़ें । ” बाघ को गधे की बात

जँच गई । उसने गधे का वह पैर उठाया और बड़े ध्यान से उसमें काँटा ढूँढ़ना शुरू किया । 

गधे ने यह मौका बहुत अच्छा समझा उसने कसकर दुलत्ती फटकारी और हवा के समान तेजी से भाग निकला । जब तड़ाक दुलत्ती की चोट पड़ी तो बाघ का मुँह टेढ़ा हो गया । उसके सामने वाले दाँत झड़ गए और जबड़े खून से भर गए । वह लज्जित होकर कह उठा- “ उफ् ! गधे की बुद्धि के सामने बाध का बल कुछ काम न आया । “ 

शिक्षा – संकटकाल में भी साहस बनाए रखना चाहिए । 

                                                            सफलता की चाबी—

किसी गाँव में एक किसान रहता था । उसके चार पुत्र थे । वे बहुत आलसी थे । वे अपना समय इधर – उधर की बातों में ही व्यतीत करते थे । यह देखकर किसान बड़ा दुखी रहा करता था । एक दिन किसान ने अपने बेटों को बुलाकर कहा , “ देखो , बहुत वर्ष पहले मैंने खेत में सोने के सिक्के दबाए थे । अब मुझे वह स्थान याद नहीं आ रहा है जहाँ उन्हें घड़े में रखकर गाड़ा गया था । 

अब तो मुझमें इतनी शक्ति भी नहीं कि उन्हें खोदकर निकाल सकूँ । मेरी मृत्यु के बाद तुम चारों भाई खेत खोदकर उन्हें निकाल लेना और आपस में बाँट लेना । ” इसके कुछ दिनों पश्चात् किसान बीमार पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई । लड़कों ने उसकी मृत्यु के बाद सारा खेत खोदा परंतु कहीं भी सोने के सिक्कों से भरा घड़ा न मिला । वे सब उदास भाव से खुदे हुए खेत में बैठे थे कि उनका वृद्ध पड़ोसी वहाँ से गुजरा ।

उसने उनसे उदास होने का कारण पूछा तो उन्होंने सब बातें बता दीं । वृद्ध बोला , “ अब खेत तो खुद ही गया है । सोना न मिला न सही । तुम इसमें बीज बो दो , फसल तो हो जाएगी । ” उन चारों की समझ में बात आ गई और उन्होंने उसमें बीज बो दिया । उन्होंने समय पर खेत में खाद व पानी दिया और कुछ ही दिनों में फसल लहलहा उठी । वृद्ध बोला , “ प्यारे बच्चे , यह फसल ही सोने के सिक्कों से भरा घड़ा है जिसके विषय में तुम्हारे पिता ने तुम्हें अपनी मृत्यु से पूर्व बताया था । 

तुम्हें उचित पाठ पढ़ाने के लिए उसने तुमसे झूठ बोला । वह तुम्हें कठिन परिश्रम करना सिखाना चाहता था । तुम्हें जानना चाहिए कि कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है । ” तब से चारों भाई परिश्रम का महत्त्व जान सके और उनकी धरती फसल के रूप में हर वर्ष सोना उगलने लगी ।

                                                            मूर्ख तोता–(story for kids)

एक समय की बात है , कोई तोता उड़ता हुआ किसी वन में चला गया । वन में ऊँचे पेड़ों पर लटकते अनेक प्रकार के फल पाकर वह बड़ा प्रसन्न हुआ । वह खुशी के मारे इधर – उधर खूब उड़ा । जब वह थक गया तो सुस्ताने के लिए एक पेड़ की डाली पर बैठ गया और वन के सुंदर दृश्यों के विषय में स्वयं ही जोर – जोर – से बोलने लगा । उस पेड़ के तने की खोखर में एक बूढ़ा उल्लू रहता था ।

शोर सुनकर उसने गर्दन बाहर निकालकर देखा तो तोता अपने आपसे बातें कर रहा था । उल्लू के पूछने पर तोते ने बताया कि उसने वन में क्या – क्या देखा है । तोते की बातें सुनकर उल्लू ने कहा , अब आगे मत जाना । अच्छा होगा कि तुम वन के उसी भाग में वापस चले जाओ , जिससे तुम परिचित हो । तो भी , मेरी एक सलाह मान लेना ।

जो फल तुम्हें अपने रंग से आकर्षित करें , उन्हें मत खाना क्योंकि वे विषैले होंगे । ” तोते को उसकी बातें अच्छी न लगीं और वह उड़ चला । उड़ता – उड़ता वह वन में निकल गया । उसे भूख लगने लगी थी । उसे पेड़ों पर लाल रंग के चमकते हुए फल दिखाई दिए । वहीं काले व हरे रंग के फल भी थे । उसे लाल रंग के फलों ने आकर्षित कर लिया । वह उन्हीं की ओर बढ़ा । उसे उल्लू की दी हुई सीख भी याद आई कि “ आकर्षक फल विषैले होंगे । ” परंतु उसने सोचा कि उल्लू दिन में तो यहाँ आता नहीं , न ही उसे रंगों की पहचान होती है । 


उसने यूँ ही कह दिया होगा । ऐसा जानकर उसने लाल रंग के फलों में चोंच मारी और खाने लगा । परंतु यह क्या ? फल के विष का प्रभाव उस पर छा चुका था । उसके प्राण – पखेरू उड़ गए और वह पेड़ से नीचे आ गिरा ।

                                                  कपट का फल–(story for kids)

किसी जंगल में एक सियार रहता था । एक दिन उसे खाने को कुछ न मिला । रात का समय था । वह भटकता हुआ निकट के गाँव में चला गया । कहीं से कुछ खाने को मिल जाए , इसी आशा से वह गाँव की गलियों में भटक रहा था कि कुत्तों ने उसे देख लिया । वे सभी उस पर झपट पड़े । उनसे जान बचाकर वह दौड़ा और एक रंगरेज के घर में जा घुसा । 

कुत्तों से घबराकर उसे कुछ न सूझा । वह सामने रखी एक नांद में कूद पड़ा । उसमें नीला रंग भरा हुआ था । वह वहीं दुबककर बैठ गया । कुत्ते उसे ढूँढ़ न पाए और निराश होकर वापस चले गए । रातभर सियार कुत्तों के डर से दुबका वहीं बैठा रहा । सवेरा होने पर वह जंगल की ओर भागा । मार्ग में उसने देखा कि उसका सारा शरीर नीले रंग का हो गया है ।  

उसे एक युक्ति सूझी । जंगल में जाकर वह एक ऊँची चट्टान पर चढ़ गया और बोला- “ कल रात वनदेवी ने मुझे जंगल का राजा बना दिया है । सभी पशु अब मेरी शरण में रहेंगे । जो मेरी आज्ञा का पालन नहीं करेगा , उसे वनदेवी दंड देंगी । ” उसकी बात सुनकर सभी पशु डर गए । वे उसे प्रणाम करके एक ओर खड़े हो गए । अब सभी उसकी सेवा करने लगे । वे उसे तरह – तरह का मांस लाकर देते । रँगा सियार सब पशुओं पर रौब दिखाने लगा । उसे बस एक ही डर सताता रहता था कि कोई उसे पहचान न ले । इसी कारण वह अपने साथी सियारों से भी दूर ही रहता था । एक रात ठंडी हवा चल रही थी । चारों ओर चाँदनी फैली थी । तभी जंगल के एक कोने – से सियारों की हुआँ – हुआँ ’ की आवाज आने लगी । 

रँगा सियार जबसे राजा बना था , उसने ‘ हुआँ हुआँ ‘ नहीं किया था । आज जब उसके कानों में आवाज पड़ी , तो उससे रहा नहीं गया । सब कुछ भूलकर वह भी उसी प्रकार ‘ हुआँ हुआँ ‘ करने लगा । उसकी सेवा में लगे जंगल के पशुओं ने जब उसे चिल्लाते हुए देखा , तो वे सब कुछ समझ गए । पलक झपकते ही वे सब उस पर टूट पड़े और उसके टुकड़े – टुकड़े कर दिए । कपटी को अपने किए का दंड मिल गया ।

शिक्षा – धूर्त और कपटी को अंततः दंड मिलता ही है ।

धन्यवाद—-


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