independence day – स्वतंत्रता दिवस -15 अगस्त

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 स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त

 

independence day भूमिका , स्वतंत्रता कैसे प्राप्त हुई , बलिदानियों की स्मृतियाँ, गाँधी जी का योगदान, 

देश में आयोजित रंगारंग कार्यक्रम, उपसंहार

15 अगस्त, 1947 भारतीय इतिहास में एक चिर-स्मरणीय दिवस रहेगा। इस दिन शताब्दियों से भारत माता की गुलामी के बंधन टूक-टूक हुए थे। भारतीय समाज के लिए दुःखों की काली रात्रि समाप्त हो गई थी। एक स्वर्णिम प्रभात आ गया था। सब ने शांति एवं सुख की सांस ली। स्वतंत्रता दिवस हमारा सब से महत्त्वपूर्ण तथा प्रसन्नता का त्योहार है।

इस दिन के साथ गुंथी हुई बलिदानियों की अनेक गाथाएं हमारे हृदय में स्फूर्ति और उत्साह भर देती हैं। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष, “स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।” हमारे हृदय में गुदगुदी उत्पन्न कर देता है। पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ने अपने रक्त से स्वतंत्रता की देवी को तिलक किया था। लाहौर में अंग्रेज शासकों ने उन पर जो अमानवीय प्रहार किए थे वे केवल इतिहास में ही नहीं, अपितु भारतीय जनता के मानस पटल पर अंकित हैं। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारा लगाने वाले नेता जी सुभाष चंद्र की स्मृति इसी स्वतंत्रता दिवस पर सजीव हो उठती है। independence day

महात्मा गाँधी जी की कुर्बानी का तो एक अलग ही अध्याय है। उन्होंने विदेशियों के साथ अहिंसा के शस्त्र से मुकाबला किया और देश में बिना रक्तपात के क्रांति उत्पन्न कर दी। महात्मा गाँधी के अहिंसा, सत्य एवं त्याग के सामने अत्याचारी अंग्रेज़ों को पराजय खानी पड़ी और 15 अगस्त, सन् 1947 के दिन भारत को प्रभुसत्ता छोड़नी पड़ी।

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नेहरू परिवार ने इस स्वतंत्रता यज्ञ में जो आहुति डाली, वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई मिलती है। स्वर्गीय पं० मोती लाल नेहरू का अभूतपूर्व स्थान है। पं० जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। आप 19 वर्षो तक स्वतंत्रता संघर्ष में लगे रहे और 15 अगस्त का शुभ दिन आया।

स्वतंत्रता दिवस भारत के प्रत्येक नगर-नगर, ग्राम-ग्राम में बड़े उत्साह तथा प्रसन्नता से मनाया जाता है। इसे भिन्न भिन्न संस्थाएँ अपनी ओर से मनाती हैं और सरकार सामूहिक रूप से इस उत्सव को विशेष रूप से रोचक बनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। स्वतंत्रता संघर्ष का अमर प्रतीक हमारा राष्ट्रीय तिरंगा जब नील गगन में फहराता है तो प्रत्येक भारतीय उछल पड़ता है।

15 अगस्त, सन् 1947 के दिन कुछेक मनोरंजक कार्यक्रम संपन्न कर लेने से ही हमारा कर्तव्य खत्म नहीं हो जाता है, बल्कि इस दिन से हमें देश की विकास योजनाओं में पूरा सहयोग देने की शपथ लेनी चाहिए। देश में फैले हुए जातीय भेद-भाव दूर करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। वेकारी की समया को जड़-मूल से उखाड़ फेंकने की नवीनतम योजनाएँ सोचनी होंगी। independence day

 

 



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