झरे लागल महुआ के पात,
बुझाता मधुमास आईल काहो?
सखी अमवा देखाला मोजरात,
बताव मधुमास आईल काहो??
कू कू कुहुकेले वन के कोइलिया,
भंवरा के भावत बा फुलवन के गलिया!
आरे हरदम फिरेला गुनगुनात हो!
बताव मधुमास आईल काहो??
पियर पियर सरसों के फुलवा फुलाईल,
मटर मोटाईल मोह लागे गदराईल!
देखि देखि हीया हुलुसात हो,
बताव मधुमास आईल का हो??
पछुआ पवन त उड़ावेला अंचरवा,
भरमत बा जाने कवना देश मे भंवरवा,
“प्रेम” उनसे दूरी सहि ना जात,
बताव मधुमास आईल का हो??
स्वरचित
प्रेम नारायन तिवारी, रुद्रपुर, देवरिया!